रैगिंग का अभिप्राय एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें कॉलेज के वरिष्ठ छात्र-छात्राएँ नवांगुतकों को अलग-अलग तरह के अपमानजनक और अभद्र कार्य करने को कहते हैं और उनका मजाक बनाते हैं। रैगिंग के अंतर्गत वे नए बच्चों को अजीबोगरीब वेशभूषा, दौड़ और अन्य कई कार्य करने को कहते हैं, जिससे कि नए छात्र-छात्राओं को कॉलेज में आते ही मानसिक और शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे कि वह तनावग्रस्त हो जाते हैं और कई बार उनकी जान भी चली जाती है। पूर्व काल में रैगिंग की शुरूआत नए विद्यार्थियों से केवल उनका परिचय लेने के लिए की गई थी और समय के साथ-साथ यह सीनियर विद्यार्थी के लिए मनोरंजन बन गई और देखते-देखते रैगिंग ने अपराध का रूप ले लिया है।
2001 में सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग के खिलाफ सख्त क़ानून बनाने के लिए एक कमेटी बैठाई थी और अब भारत में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने रैगिंग को बंद करने का निर्देश दे दिया है । अब यदि कोई भी व्यक्ति कॉलेज में किसी भी छात्र की रैगिंग करता हुआ पाया जाता है तो उसे सख्त-से-सख्त सजा दी जाएगी और हमेशा के लिए सभी कॉलेजों के द्वार उसके लिए बंद हो जाएंगे। रैगिंग से सुरक्षा के लिए हर कॉलेज में एंटीरैगिंग कक्ष बनाए गए हैं, जहाँ पर कोई भी छात्र जाकर कॉलेज में होने वाली रैगिंग की जानकारी दे सकता है।
अनुशासन एवं एंटी रैगिंग समिति
नाम
पद
मोबाइल नंबर
श्री मदन पाल सिंह
संयोजक
9456607430
डॉo अरविन्द कुमार
सदस्य
9410890585
डॉo लता शर्मा
सदस्य
9897872181
डॉo रेणु रानी
सदस्य
9557677861
डॉo धीर सिंह
सदस्य
9411986006
डॉo नितिन कुमार
सदस्य
9456807557
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